पेंसिल से मूंछ बनाकर सेट पर पहुंचे, रात के अंधेरे में उठा ले गई पुलिस, लोटपोट कर देगी ‘दिलरुबा’ की कहानी

एक्टर राकेश बेदी 80 और 90 के दशक के एक बहुत ही मशहूर कॉमेडियन रहे है इन्होंने लगभग 20 टीवी सीरियल्स और लगभग 175 फिल्मों में काम किया है और एक बहुत ही ख़ास लोकप्रियता हासिल की है कॉमेडियन राकेश बेदी जो की आज भी काम करते है राकेश बेदी की सबसे खास बात ये है कि इनमें हास्य रस कूट-कूटकर भरा है, जो स्थिति के मुताबिक, अपने आप फूट पड़ता है. तभी तो इनका अभिनव विनय बनावटी नहीं सहज स्वाभाविक लगता है. इनके कारनामे ऑनस्क्रीन ही नहीं बल्कि ऑफ स्क्रीन भी लोगों को गुदगुदाते रहे हैं.

आज हम आपसे राकेश बेबी के जीवन के बारें में बात करने जा रहे है राकेश बेबी का जन्म दिल्ली के करोल बाग में हुआ था. उनके पिता मदन कुमार बेदी, इंडियन एयरलाइंस में काम करते थे.राकेश की स्कूल की पढ़ाई पूरी हुई थी दिल्ली का एक थिएटर ग्रुप के साथ में काम करने लग गए थे उन्होंने उस वक़्त बहुत ही ज़्यदा मेहनत की थी थे. प्ले में हिस्सा लेते, खुद स्पॉन्सर ढूंढते और पोस्टर छपाने के बाद पैसा बचाने के लिए खुद ही दिल्ली की सड़कों पर पोस्टर भी चस्पा करते थे एक बार वह अपने किसी नए प्ले का पोस्टर लेकर अपने कुछ और थिएटर के दोस्तों के साथ रात को दिल्ली की सड़कों पर निकले. थे।

मगर उस रात का समय था और सभी दोस्त पोस्टर चिपका रहे थे, तभी रात में इन लोगों को असामाजिक तत्व समझकर पुलिस ने धर लिया.
काफी देर के बाद सभी पुलिस को ये समझाने में सफल हुए वो सभी थिएटर आर्टिस्ट हैं और पैसे नहीं होने की वजह से ये काम खुद कर रहे हैं, फिर पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया मगर पिताजी का सपना उन्हें इंजीनियर बनाना था. वह चाहते थे कि राकेश आईआईटी से इंजीनियरिंग करे. पिताजी का मन रखने के लिए उन्होंने इंजीनियरिंग का एंट्रेंस एग्जाम भी दिया. दिल्ली आईआईटी का एंट्रेंस एग्जाम देने के लिए वह निश्चित तारीख पर वहां पहुंचे. जैसे ही सवालों का एक बड़ा पेपर उनके पास आया तो उन्हें समझ आ गया कि यह उनकी बस की बात नहीं है. क्योंकि सारे प्रश्नों में से उन्हें सिर्फ एक ही उत्तर आता था.बाद में उन्होंने एग्जामिनर को बताया मैं गलत जगह आ गया हूं मुझे वापस अपने ड्रामा रिहर्सल में जाना है जिसके बाद में उन्होंने फिल्मो में काम करना शुरू कर दिया था जब फिल्मों में एंट्री के लिए हीरो हीरोइन और कॉमेडियन के लिए पैमाने हुआ करते थे.

हम आपसे उनके एक किस्से के बारें में भी बट की थी फिल्म ‘चश्मे बद्दूर’ में बेदी तलवार कट मूंछ में नजर आए थे यानी होठों के ऊपर एक पतली सी मूंछ, जो उस जमाने में काफी पॉपुलर थीं. राकेश बेदी की इस मूंछ की असलियत जानकर आप हैरान रह जाएंगे. दरअसल, इस फिल्म की शूटिंग दिल्ली में चल रही थी और इसी बीच राकेश को दूसरी फिल्म के शूटिंग के लिए मुंबई जाना था. वहां पहुंचने पर डायरेक्टर ने उनसे मूछ हटाने के लिए कहा. अब वह दुविधा में थे करे तो करें क्या? कर भी क्या सकते थे, उन्होंने अपनी मूंछे कुर्बान कर दी. शूट पूरा करने के बाद वह अगले दिन वापस दिल्ली पहुंचे. लेकिन वह काफी डरे और सहमे थे. ‘चश्मे बद्दूर’ की डायरेक्टर काफी गुस्सैल थीं.

अब 1 दिन में तो मुझे आ नहीं सकती थी. इसलिए सेट पर डांट से बचने के लिए राकेश ने एक तिगड़म बिड़ाई. उन्होंने पेंसिल से अपनी मूंछें बनाई और शूटिंग पर चले गए. तीन-चार दिन तक तो सब ठीक रहा, लेकिन जब एक दिन उन्हें ज्यादा पसीना आया तो जल्दबाजी में उन्होंने तौलिए से मुंब पूछ लिया, फारुख शेख और बाकी क्रू मेंबर मौजूद थे और राकेश को देख उनकी हंसी नहीं रुक रही थी. नकली मूंछ का सच सबके सामने आ चुका था. डायरेक्टर ने बहुत डांटा लेकिन खुद को बचाने के लिए बेदी ने कमाल का लॉजिक दिया. उन्होंने कहा कि जब 4 दिन तक किसी को पता नहीं चला तो आगे फिर कैसे पता चलेगा. राकेश वीडियो और फारुख शेख के बीच कमाल की दोस्ती रही. दोनों साथ ही थिएटर ग्रुप में काम करते थे

राकेश बेदी समझ गए कि वह कॉमेडियन के रूप में ही अपनी पहचान बना पाएंगे. राकेश हिंदी ने साल 1979 फिल्मों से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 1981 में आई उनकी फिल्म ‘चश्मे बद्दूर’ फिल्म में भी दिखे था उसके बाद में उन्होंने कलाकार’, ‘एक जान है हम’, ‘दो गुलाब’, ‘नसीब अपना अपना’, ‘ड्यूटी’, ‘दादागिरी’, ‘हवालात’, ‘एक ही मकसद’, ‘नकाब’, ‘आजाद देश के गुलाम’, ‘नंबरी आदमी’, ‘अफसाना प्यार का’ और ‘उरी’ जैसी कई फिल्मों में काम किया और साथ में टीवी सीरियल में भी काम करना शुरू कर दिया था