इंसानो के लिए लॉक डाउन सही नहीं रहा हो पर इस लॉक डाउन के दौरान प्रकृति को काफी फायदा हुआ प्रकृति के साथ साथ पशु पक्षी को भी प्रदूषण जैसी चीजों से कुछ समय के लिए छुटकारा मिला था और इसका प्रभाव गंगा नदी पर भी पड़ा और हाल ही में जब अनलॉक शुरू हुआ तो नदी में कुछ ऐसा मिला जिसने सभी को हरण कर दिया खास कर की वैज्ञानिकों को।
आपको बता दे की गंगा से एक ऐसी मछली है जो की जो सात समंदर पार अमेरिका की है जो की अच्छी बात नहीं है क्योकि वैज्ञानिकों का कहना है की नए मेहमान को गंगा में रहने वाले अन्य जलीय जीवों के लिए खतरनाक बताया है।कुछ ही दिनों पहले गंगा में दो नए मेहमान जल प्रहरियों को मिले इनमें से कुछ हफ्ते पहले सुनहरे रंग की मिली जिसे बताया गया कि वो अमेरिकी मछली है. पर इसे कुछ दिन पहले उन्हीं प्रहरियों को एक और अन्य रंग की मछली मिली।
अब वैज्ञानिकों ने एक बार फिर से अपनी रिसर्च पर काम किया जिसे ये पता चला की मछली अमेरिका बनारस से हजारों किलोमीटर दूर दक्षिण अमेरिका के अमेजॉन नदी में पाए जाने वाली महली है जिसका नाम “सकर माउथ कैटफिश” है और इस मछली के मिलाने जाने पर वैज्ञानिक आश्चर्य चकित है जानकारी के लिए बता दे की ये मछली वाराणसी में रमना से होकर क्षेत्र के गंगा नदी में पाई गई है।
जब नदी में नाविक भृमण कर रहे थे तब उन्होंने एक अजीबोगरीब मछली दिखी जिसे उन्होंने गंगा प्रहरी को सौंपा गया जिन्होंने इसे बीएचयू के मछली वैज्ञानिकों तक पहुंचाया जिसके बाद इस मछली के बारे में पता चला मछली वैज्ञानिक प्रोफेसर बेचन लाल व बीएचयू के जन्तु विज्ञान संकाय के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे का कहना है की ये मछली मासाहारी है और इसकी मौजूदगी गंगा में सिस्टम को प्रभावित कर सकती है।
आगे सीधे सीधे कहे तो इस मछली की संख्या में अगर बढ़ोतरी देखने को मिलिटी है तो गंगा को स्वच्छ रखने वाले जलीय जन्तु को ये नुकसान पहचाएंगी जिससे गंगा के शुद्धता में कमी हो सकती है वैसे अभी के लिए ऐसा माना जा रहा है की ये मछली गंगा में घर में पलने वाले एक्यूरियंम से आई है और इसे किसी ने गंगा में डाल दिया जिसके बाद से वो यही फलफूल रही है वैज्ञानिकों की लोगो से ये ही अपील है की ऐसी मछलियों को गंगा में ना डालें।