ताज महल जो की दुनिये के सात अजूबों में से एक है वैसे ताज महल के में मुख्य मकबरे में प्रवेश करते ही सैलानी शाहजहां और मुमताज की कब्रों के चारों ओर बनी अष्टकोणीय संगमरमर की जाली देखने को मिलता है संगमरमरी जाली पर हो रहे पच्चीकारी के काम जिसे उस समय बिना किसी अत्याधुनिक उपकरणों के जिसे अपने हुनर से बनाया है। वैसे आपको बता दे की शहंशाह ने संगमरमर की नहीं, सोने की जाली लगवाई थीवैसे बाद में उसे हटा लिया गया था।
जानकारी के लिए बता दे की ताजमहल के निर्माण की शुरुआत 1632 से हुई थी और 1648 के बीच ये बन कर तैयार हुआ था शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की कब्र के चारों ओर सोने की जाली लगवाई थी एक मजूमदार ने अपनी किताब ‘इंपीरियल आगरा आफ द मुगल्स’ में इस बारे में बताया है शाहजहां द्वारा मुमताज की कब्र के चारों ओर लगवाई गई सोने की जाली कब हटवाई गई इसके बारे में तो किताब में नहीं लिखा है ऐसा भी कहा जाता है की जब साल 1666 में शाहजहां को मताज की कब्र के बराबर में दफन किया गया था तब सोने की जाली हटवाई गई होगी थी।
जिसके बाद खूबसूरत संगमरमर की जाली औरंगजेब के समय में लगाई गई थी आपको जानकर हैरानी होगी के इसे बनाए में करीब 10 सलका समय लग गया था,अष्टकोणीय जाली में पच्चीकारी का शानदार काम किया गया है जिसमे एमराल्ड, नीलम, गोमेद, कार्नेलियन, जैस्पर जैसे कीमती पत्थर लगे हुए हैं। जानकारी के लिए बता दे की शाहजहां ने ताजमहल के गुंबद पर लगा कलश 466 किलो सोने से बनवाया था।
वैसे साल 1810 में अंग्रेज अधिकारी जोसेफ टेलर ने इसे उतरवाकर सोने की पालिश किया हुआ तांबे का कलश लगवा दिया था जिस के बाद 1876 और फिर 1940 में कलश बदला दिया गया था ये एक और कीमती चीज थी जिसे अंग्रेज भारत से लेकर गए थे।शाहजहां ने ताजमहल में मुख्य मकबरे पर चांदी का बना दरवाजा लगाया था इसके साथ ही मुमताज की कब्र पर मोतियों की बनी चादर चढ़ाई जाती थी जिसमे चार हजार मोती लगे हुए थे।
इस चादर को भी बाद में लूट लिया गया था इतिहासविद राजकिशोर राजे का कहना है की 1719 में सैयद बंधुओं ने आगरा पर हमला किया था और उसने शाही कोष पर कब्जा कर लिया था, इसमें मुमताज की कब्र पर चढ़ाई जाने वाली चादर भी थी। इसका मूल्य उस समय करीब चार हजार रुपये था।