आज हम आपको एक ऐसे राजनेता के बारे में बताने वाले है जिन्हे आप सबसे ईमानदार नेता मन सकते है इनका नाम है गोविन्द बल्लभ पंत पहाड़ों के रहने वाले है उनका जन्म अल्मोड़ा में हुआ था पर मूल रूप से महाराष्ट्रियन थे और उनकी माँ का नाम गोविंदी बाई था और कुछ ऐसा हुआ की वो उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बन गए।
गोविन्द जी के पिता पिता सरकारी नौकरी करते थे और इस वजह से उनका ट्रांसफर होता रहता था और यही वजह है कि वह अपने नाना के पास ही पले बढ़े थे वो शुरू से ही पढ़ाई में काफी होशियार थे बता दे की 1937 में पंत जी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने जिसके बाद वो एक बार फिर 1946 से दिसंबर 1954 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और साल 1951 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में वो बरेली म्युनिसिपैलिटी से जीते थे जिसके बाद साल 1955 में वो केंद्र सरकार में होम मिनिस्टर बने।
पांत जी 1955 से 1961 तक होम मिनिस्टर रहे वैसे वो पहले एक वकील थे और जब वो एक वकील बने तो उन्होंने ये सोच रखा था की वो सिर्फ और सिर्फ सच का साथ देंगे सी वजह से उन्होंने ठान लिया था की वो कभी कोई झूठा केस नहीं लड़ेंगे वैसे उन्हें कुली बेगार के खिलाफ केस लड़ा, जिसके कानून के मुताबिक लोकल लोगों को अंग्रेजों का सामान मुफ्त में ढोना पड़ता था गौर करने वाली बात ये है की वकील बनने से पहले उनके बड़े बेटे और पत्नी गंगादेवी की मृत्यु हो गई थी और इसी वजह से वह काफी उदास रहने लगे थे।
जिसके बाद से ही वो अपना पूरा समय वकालत और राजनीती को देने लगे थे और काफी दबाव डालने के बाद ही उन्होंने दूसरी शादी करने का फैसला किया एक बार उन्होंने कहा कि सरकारी बैठकों में सरकारी खर्चे पर केवल चाय मंगवाने का नियम है और नाश्ते का बिल वही व्यक्ति चुकाएगा जिसने नाश्ता मंगवाया हो उन्होंने आगे कि सरकारी खजाने पर केवल जनता का हक है मंत्रियों का नहीं और उनकी ये बात सुन कर वहां मौजूद सभी लोग चुप हो गए थे।
ये भी बता दे की जब वो सिर्फ 14 साल के थे तब उन्हें हार्ट की बीमारी हो गई थी और ऐसे में पहला हार्ट अटैक उन्हें चौदह साल की उम्र में आया था इसके बाद भी उन्होंने अपनी ज़िन्दगी को खुलकर और बड़ी ईमानदारी से जिया है यूपी के वह मुख्यमंत्री जिन्होंने सरकारी खजाने को मंत्रियों का न कह कर जनता का कहा,उनकी मौत 7 मार्च 1961 को दिल्ली में हुई थी।