आपको बता दे की आठ साल की उम्र में देवांशी सांघवी ने वो किया है जो की आज के वक़्त में बहुत ही बड़ी बात होती है सिरोही के हीरा व्यापरी की बेटी ने सूरत में सारे ऐशों आराम छोड़ कर सन्यासी बन गई है यह खबर इस वक़्त सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियों में बनी हुई है सूरत में हीरा व्यापारी धनेश सांघवी की बेटी देवांशी सन्यास ग्रहण कार्यक्रम रखा था उन्होंने एक बहुत हु बड़ा जुलूस रखा था जिसमे कई लोग शामिल होने के लिए भी आये थे जहा की कुछ तस्वीरें इस वाट सोशल मीडिया पर खूब तेजी से वायरल हो रही है।
मंगलवार को शहर में इस अवसर को मनाने के लिए हाथियों, घोड़ों और ऊंटों के साथ एक भव्य जुलूस का आयोजन किया गया.यह परिवार संघवी एंड संस चलाता है, जो सबसे पुरानी हीरा बनाने वाली कंपनियों में से एक है. जिसका करोड़ों में कारोबार है बता दे की धनेश का पूरा परिवार एक सामान्य शैली का जीवन जीता है. धनेश सांघवी अपने पिता मोहन के इकलौते बेटे हैं और उनकी दो बेटियां देवांशी और पांच साल की काव्या हैं.।
खबरों के अनुसार हमको यह जानकरी हासिल हुई है की धनेश, उनकी पत्नी अमी और दोनों बेटियां धार्मिक निर्देशों के अनुसार एक साधारण जीवन शैली का पालन करती हैं देवांशी ने कभी टीवी, या फिल्में नहीं देखीं और कभी भी रेस्तरां या शादियों में शामिल नहीं हुईं. उन्होंने अब तक 367 दीक्षा कार्यक्रमों में भाग लिया है
देवांशी ने पलिताना में दो साल की उम्र में उपवास किया और संन्यास का मार्ग अपनाने के लिए दृढ़ संकल्पित थीं. कार्यक्रम के आयोजकों में से एक ने कहा, एक बड़े व्यवसाय के मालिक होने के बावजूद, परिवार एक साधारण जीवन जीता है. उन्होंने देखा है कि उनकी बेटियां सभी सांसारिक सुखों से दूर रहना चाहती हैं. साढ़े सार साल की उम्र से ही देवांशी ने गुरु भगवंतों के साथ रहना शुरू कर दिया. वे हर महीने में दस दिन गुरु भगवंतों के साथ रहती थीं।