पाक और सऊदी अरब के रिश्ते अब पहले जैसे नहीं रहे है और वो अब उसे सबक सिखाने के लिए अपनी दशकों पुरानी कूटनीति में भी बदलाव जा रहा है आपको बता दे की अब सऊदी पाकिस्तान को आर्थिक मदद नहीं देने वाला है।
पाकिस्तान के मंत्रियों की बयानबाजी का खामियाजा न सिर्फ पाक बल्कि और कई देशो को चुकाना पड़ेगा आपको बता दे की अभी तक सऊदी अरब अपनी दुश्मन का दुश्मन दोस्त नीति पर चल रहा था और उन्हें आर्थिक मदद दे रहा था पर महामारी की मंदी ने उसे इसमें बदलाव करने पर मजबूर कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार सऊदी अरब की डिप्लोमैसी यानी के विदेश नीति काफी तेजी से बदल रही है जिसमे ये कहा गया की सऊदी और प्रिंस सलमान अब मुस्लिम वर्ल्ड में पावरहाउस बने रहने के लिए अपने देश का खजाना खाली नहीं करने वाले है।
ऐसा माना जा रहा है की सऊदी अरब की तेल आधारित अर्थव्यवस्था संकट में है और इसका सीधा असर उसकी विदेश नीति पर भी देखने को मिल रहा है आपको बता दे की सऊदी लगातार भारत से नजदीकियां बढ़ा रहा है वो तेल के साथ साथ कई बिजनेस के मौजे भी ढूंढ रहा है।
यास्मिन फारुख जो की मिडिल-ईस्ट मामलों की एक्सपर्ट है उनका कहना है इस महामारी के दौरान में ऑयल डिमांड कम हुई इसके ऊपर ईरान, तुर्की और कतर जैसे देश उसे आंखें दिखाने लगे सऊदी अरब ने लगातार जॉर्डन, मिस्र, फिलिस्तीन और पाकिस्तान जैसे देशों को लाखों पेट्रो डॉलर लिए पर इसके बाद भी आज भी ये देश खस्ता हालत में हैं और सऊदी के किसी काम के नहीं हैं।
उन्होंने आगे कहा “महामारी और तेल के गिरते भाव ने सऊदी अरब को डिप्लोमैसी में बदलाव के लिए मजबूर कर दिया. प्रिंस सलमान बड़े बदलाव कर रहे हैं और अब ये देश सिर्फ एक एटीएम नहीं रहेगा” वही सऊदी के एक लेखक खालिद अल सुलेमान बताते है की “लेबनान को फिर खड़ा करने के लिए सऊदी अरब ने लाखों डॉलर दिए. लेकिन, उसने हिजबुल्लाह का साथ नहीं मिला. यह संगठन सऊदी के दुश्मन ईरान से मिल गया है”
ऐसा कहा जा रहा है की पाकिस्तान ने सऊदी अरब से अलग-अलग वक्त पर लाखों डॉलर लिए है और बेहद नर्म शर्तों पर ऑयल इम्पोर्ट जारी रहने दिया और जब सऊदी ने कश्मीर क्र मुद्दे पर जब उसका साथ नहीं दिया तो पाक ने अपना दूसरा मुस्लिम संगठन बनाने की बात कहने लगा जिस पर ऊदी ने पाकिस्तान से 3 अरब डॉलर का कर्ज चुकाने को कह दिया है साथ ही ऑयल क्रेडिट फेसेलिटी भी खत्म कर दी है।
सऊदी अब अब यमन के हूती विद्रोही के लिए खतरा बन गए हैं,पाकिस्तान, मिस्र और ईरान इन्हें समर्थन दे रहे हैं और ये बात सऊदी यह सहन नहीं कर सकता आपको बता दे की 2015 में इजिप्ट के राष्ट्रपति ने सऊदी का मजाक उड़ाया था।