मशहूर फिल्म चितचोर जिसमे अमोल पालेकर और जरीना वहाब ने काम किया था उस वक़्त इस फिल्म को और उन दोनों की एक्टिंग को भी बहुत ही ज़िद पसंद किया गया था बता दे की एक एक्शन फिल्म थी साथ ही इस फिल्म में अभिनेता विजयेंद्र घटके को भी काम करने का मौका मिला था और उन्होंने काम भी किया था अभिनेता विजयेंद्र घटके के लिए यह फिल्म ऐसी गलती बनी जिसकी कीमत वे सारी उम्र चुकाते रहे आइये जानते है की उनके साथ में आखिर ऐसा क्या हुआ था।
आपको बता दे की विजयेंद्र घटके मराठा साम्राज्य के जागीरदार के बेटे थे. जिनको फिल्मो में काम करना था मगर उनको फिल्म में इतना ज़्यदा पसंद नहीं किया गया था विजयेंद्र घटके के पिता फतेह सिंह राउत दत्ता जी राजे घटके मराठा साम्राज्य के जागीरदार थे.और उनकी मां सीता देवी इंदौर के महाराजा तुकोजी होलकर की बेटी थीं. मगर उसके बाद में भी विजयेंद्र घटके ने फिल्मो में काम करने का सोच किया था विजयेंद्र ने बचपन में ही यह सोन देख लिया था की उनको फिल्मो में काम करना है।
जिसके बाद में विजयेंद्र मॉडलिंग की दुनिया में छा गए और उन्होंने एक्टिंग में जाने का मन बना लिया. इसके बाद विजयेंद्र एक्टिंग के गुण सीखने के लिए एफटीआईआई पुणे चले गए. इसके बाद विजयेंद्र ने मुंबई का रुख किया और यहां आकर अपनी किस्मत आजमाने लगे शाही खानदार का वारिस लगातार अपना वजूद खोजता रहा फिल्म ‘अनोखा’ में विजयेंद्र को छोटा किरदार मिल गया. मगर उस वक़्त यह रोल को भी इतना पसंद नहीं किया था मगर एक दिन 1976 में फिल्मेकर बासु चटर्जी की उनपर नजर पड़ी बासु ने विजयेंद्र को अपनी फिल्म चितचोर में उन्हें सेकेंड लीड रोल ऑफर दिया था और उन्होंने हां भी बोल दिया था विजयेंद्र ने सेकेंड लीड का किरदार किया और फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर हिट हुई.विजयेंद्र को इस फिल्म के बाद में काफी ऑफर भी मिलने लगे मगर उनको कभी भी लिड रोल का ऑफर नहीं मिला था ।
विजयेंद्र अपने करियर में सारी उम्र स्टार बनने का ख्वाब पाले रहे लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया. लंबे समय बाद विजयेंद्र ने फिल्मों में विलेन के किरदार करने शुरू कर दिए. बॉलीवुड की करीब 124 फिल्मों में काम किया था मगर उनकी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था साल 1985 एयर इंडिया कनिष्का विमान 329 यात्रियों को बिठाकर पेरिस के लिए उड़ा था. यह जहाज रास्ते में ही आतंकी हमले की भेंट चढ़ गया और सूटकेस में रखा बम फट गया. विजयेंद्र की बहन संगीता घटके क्रू मेंबर के रूप में मौजूद थीं. जिसकी जान चली गई थी जिसकी वजह से विजयेंद्र बुरी तरह से टूट गए थे विजयेंद्र ने इस घटना के बारें में खुद एक इंटरव्यू में बताया था की ‘वो भयानक दिन मैं जीते जी नहीं भूल सकता. मेरे दोस्त ने मुझे हादसे की फोन कर जानकारी दी थी. थोड़ी ही देर बाद मेरी बहन की खबर आ गई. मैं इस खबर से बुरी तरह टूट गया था. लेकिन उससे भी बड़ी परेशानी इस बात की जानकारी मां-पिता को देना था. मैंने फोन कर उन्हें इसकी जानकारी दी थी और इसी समय मेरी छाती फटी जा रही थी.’