शरीर की विकलांगता होने के बाद भी कुछ लोग उस सोच के साथ अपनी ज़िन्दगी जीते है जो हम और आप कभी नहीं जी पाएंगे ऐसे लोगो में अपनी ज़िन्दगी में कुछ करना का हौसला होता है और कभी भी हर नहीं मानते है तो आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने अपनी सकारात्मकता को अपने सपनो के आगे नहीं दिया है।
ये कहानी है अंबिकापुर के रहने वाले महेश की, एक समय था जब उसने अपनी शारीरिक कमजोरी और अक्षमता को अपने जीवन में बाधा नहीं बनने दिया।महेश अम्बिका पुर के डिगमा पंचायत के निवासी हैं वैसे इस बार वो 10वीं की परीक्षा में बैठने वाले हैं।
जैसा की आप देख सकते है की महेश अपने दोनों हाथों से असक्षम हैं उसके एक हाथ पूरी तरह अविकसित है और इनका दूसरा हाथ है भी नही है पर इसके बाद भी उन्होंने ज़िन्दगी में हर नहीं मानी।10वीं में पढ़ने वाले इस विद्यार्थी ने इस बात को अच्छे से साबित कर दिया है की विकलांगता केवल हमारी नकारात्मक सोच में वास करती है।
महेश का सपना है की वो एक टीचर बनना चाहता है इसके साथ ही वो अपने सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत भी कर रहे हैं।बता दे की । महेश और उनके जैसे अन्य लोग ,सभी के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत हैं। इन लोगो से ये चीज सिखने को मिलती है की जवान में कुछ भी हो हमें हार नहीं मानी चाहिए चाहिए उसके लिए कितनी भी कठिन परिस्थिति का सामना करना पड़े।