बेटों को बचाने के लिए माँ ने गि’रवी रख दिया जमीन और गहना, अब काट रही सरकारी…

आज हम आपको शांतिदेवी नाम की औरत की ज़िन्दगी के बारे में बताने वाले है और उनकी ज़िन्दगी के बारे में जानकर आपको की आँखे नाम पड़ जाएंगी शांतिदेवी के पति का नाम मिश्रीलाल था जिनकी मौत सिलिकोसिस से हो गई दुख कम नहीं थे की उनके दोनों बेटों प्रकाश और नरेश का भी निधन हो गया और उनकी मौत भी सिलिकोसिस से हुई थी।

आपको बता दे की सरकार सिलिकोसिस से मरने वाले मरीज़ों के आश्रितों को वो 3 लाख रुपये की सहायता देती है पर दुख की बात ते है की शांतिदेवी पिछले 4 सालों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं पर अभी तक उन्हें कुछ भी हासिल नहीं हुआ है वो काफी उम्र में है और अपने घर का खर्च खुद चला नहीं पाती है ।

आपको बता दे की उनका तीसरे बेटे भीं है पर उसकी मौत कैंसर की वजह से हो गई जिसके बाद उनपर दुखों का पहाड़ टूट गया है शांतिदेवी वृद्धा,बेसहारा होने के साथ साथ खुद है कैंसर पीड़ित है और उसका भी इलाज चल रहा है। अपने परिवार को खोने के बाद उन्हें लगा की सरकार उनकी मदद करेगी पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दे की खानों में पत्थर तोड़ने और अन्य निर्माण कार्यों के दौरान उड़ने वाली धूल, जब सांस के जरिए जरिए शरीर में जाती है तो सिलिकोसिस जैसी जानलेवा बीमारी हो जाती है। और इस ही बीमारी ने उनके पति और दोनों बेटो को मार दिया और अपने दूसरे बेटे को बचने के लिए जमीन व गहने तक बेचे पर उसकी जान नहीं बच पाई। चार-पांच साल से वो सरकारी मदद की उम्मीद में है।

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