आज हम आपको बताने वाले है बेंगलुरू पुलिस के सब-इंस्पेक्टर शनथप्पा जादेमंनवार के बारे में जो अन्नपूर्णेश्वरी नगर के थाने में तैनात हैं और वो नगरभवी में रहते हैं और वही पास ही में एक पुरवा है जहां पर प्रवासी मज़दूर और उनके बच्चे रहते हैं शांथप्पा जी की ड्यूटी 8.30 पर शुरू होती है और अपने डेब्यू पर जाने से पहले वो बच्चों को बुलाते हैं और उन्हें पढ़ाते हैं।
वो बच्चो को रोज सुबह 7 बजे से 8 बजे तक पढ़ाते है वो इन बच्चों को वैदिक गणित, सामान्य ज्ञान और कुछ लाइफ़ स्किल्स के बारे में भी पढ़ाते है इस समय उनकी क्लास में कुल 30 बच्चे पढ़ने आते हैं साथ ही वो अपने बच्चो को होमवर्क भी देते हैं और जो बच्चे अच्छे से पढ़ाई करते है वो उन्हें इनाम के रूप में चॉकलेट और जोमेट्री बॉक्स देते है।
इस बारे में बात करते हुए शांथप्पा जी बताते है की “इन बच्चों के पैरेंट्स के पास न तो स्मार्ट फ़ोन है, न टीवी, न कंप्यूटर और मतलब इनके पास ऑनलाइन या डिस्टेंस लर्निंग का कोई साधन नहीं है. राज्य सरकार की विद्यागामा परियोजना जो शिक्षकों को छात्रों के घर पर भेजने के लिए थी वो भी यहां विफल रही. इसलिए मैंने इन्हें पढ़ाना शुरू कर दिया”
इसके साथ ही वो बच्चो की दुर्दशा के बारे में भी बात करते है उन्होंने कहा वो जहा पर रहते है वह पर ना तो पानी की कोई व्यवस्था नहीं है और ना ही बिजली की साथ ही उन्हें क्लास को शुरू करने के लिए उन्हें प्रवासी मज़दूरों को समझाना पड़ा था।शांथप्पा जी ने इन लोगो को बताया की वो एक प्रवासी मज़दूर थे और पढ़ने के बाद वो एक पुलिस में भर्ती हो सके।शांथप्पा जी जैसे लोगो को पढ़ाई का महत्व अच्छे से मालूम है और वो भी कभी उन्ही की तरह थे इस वजह से उन्हें उनका दर्द अच्छे से समझ आता है और वो ये चाहते है की उनके बच्चे पढ़ लिखकर कुछ बन जाए।