पंजाब के संगरूर ज़िले की अमनदीप कौर जो सिर्फ 17 साल की है और उन्होंने एक पहल अपने ही घर से शुरू की है आपो बता दे की साल के इस समय पोल्लुशण का बड़ा हाथ पराली जलाने के बाद उठे धुएं का भी है जिसपर अमनदीप ने पहले अपने पिता को पराली न जलाने के लिए मना किया रिपोर्ट्स के अनुसार अमनदीप को सांस से जुड़ी बीमारी थी।
उन्होंने बताया की “मैं जब छह साल की थी तो मुझे सांस संबंधी बीमारी थी. धान की कटाई के बाद पराली जलाए जाने से समस्या बढ़ जाती थी. मेरे पिता के पास 20 एकड़ ज़मीन है और वो 25 एकड़ ज़मीन किराए पर लेकर खेती करते हैं” अमनदीप ने किसी तरह अपने पिता को पराली न जलाने के लिए राज़ी कर लिया था।
अमनदीप के पिता को देखते हुए दूसरे किसानों ने भी ऐसा करना बंद कर दिया आपको बता दे की इसे ना सिर्फ धुएं से तो छुटकारा मिला इसके साथ ही अब किसानों को कम खाद का इस्तेमाल करना पड़ रहा है और खेतों की मिट्टी की हालत भी सुधर रही है।वैसे आपको बता दे की खेती के बाद बचे अवशेषों से निपटने के लिए बीज बोने वाली मशीन का प्रयोग किया जाता है खेती के बाद बचे अवशेषों से निपटने के लिए बीज बोने वाली मशीन का प्रयोग किया जाता है ।
अमनदीप के अनुसार उन्होंने ख़ुद बीज बोने वाली मशीन का इस्तेमाल किया और ट्रैक्टर चलाना भी सीखा और आज वो ख़ुद खेती भी करती है।अमनदीप ने कृषि विज्ञान में ग्रेजुएशन की है और उनका ये कहना है की पराली को न जलाने से खेत ज़्यादा उपजाऊ हो गए हैं और जिसके बाद अब 60 से 70 फ़ीसदी कम खाद का खेतो में इस्तेमाल होता है।
अमनदीप के गांव के सरपंच के अनुसार किसानों ने पराली जलाना 80 प्रतिशत की कम कर दिया है वैसे अमनदीप किसी प्रेरणा से कम नहीं है जहा कई जगह की सरकार प्रदूषण को लेकर कुछ नहीं कर रही है तो वही सिर्फ 17 साल की इस लड़की ने अपने छोटे से गांव से ही एक बड़ी शुरुआत की है।